तैयारी का समय= मिनट
कुल समय = 40 मिनिट
पकाने का स्तर=मध्यम
आलू पराठा सामग्री
गेहूं का आटा — 400 ग्राम
तेल - 1 टेबल स्पून
स्टफिंग के लिये:
आलू — 400 ग्राम
लाल मिर्च पाउडर — एक् चौथाई छोटी चम्मच
गरम मसाला — एक चौथाई छोटी चम्मच
अमचूर पाउडर — एक चौथाई छोटी चम्मच
हरी मिर्च — 2
धनिया पाउडर एक चमच्च
कसूरी मेथी- एक चमच्च
प्याज़ एक बारीक़ कटी हुई
हरा धनियाँ — 2 -3 टेबल स्पून बारीक हुआ
नमक — स्वादानुसार
रिफाइन्ड तेल या देशी घी — परांठे में लगाने के लिये
टेस्टी इंडियन रेसिपी Aloo Paratha Recipe In Hindi बनाने की विधि
और एक गिलास पानी डालकर गैस पर रखिये और 2 -3
सीटी आने के बाद गैस बन्द कीजिये और कुकर का प्रेशर खतम होने के बाद कुकर से आलू निकाल लेंगे.
आटे को छान लीजिये फिर आटे में 2 छोटी चम्मच घी या तेल डालिये और नमक एक चौथाई छोटी चम्मच डालकर मिला लीजिये. पानी की सहायता से नरम आटा गूथिये.
गुथे आटे को सैट होने के लिये 15-20 मिनिट के लिये ढककर रख दीजिये. उबाले हुये आलुओं को ठंडा करके छीलिये और उन्हैं बड़ी चमच्च की सहायता से बारीक़ फोड़ लीजिये इसमें नमक, लाल मिर्च, गरम मसाला, अमचूर पाउडर, धनियाँ पाउडर, हरी मिर्च, कसूरी मेथी और हरा धनियाँ डाल लीजिये. मसाले को अच्छी तरह आलुओं में मिला लीजिये. यह आलू की पिठ्ठी पराँठे(Paratha) में भरने के लिये तैयार हैं.
पर पलटिये, दूसरी तरफ से सिकने पर ऊपर की ओर तेल लगाइये.
और परांठे को पलट कर दूसरी ओर भी तेल लगाइये. चमचे या कलछी से चारों ओर हल्का दबाव देते हुये परांठे को दोनों तरफ खस्ता, ब्राउन चित्ती आने तक सेकिये. इसी तरह से सारे पराँठे सेक लीजिये. पराँठे (paratha recipe) तैयार हैं.
सजावट के लिए
ये पराँठे आप मक्खन, हरे धनिये की चटनी या दही के साथ परोसिये और खाइये.
आलू के हेल्थ बेनिफिट
बेरी-बेरी
बेरी-बेरी का सरलतम् सीधा-सादा अर्थ है-”चल नहीं सकता” इस रोग से जंघागत नाड़ियों में कमजोरी का लक्षण विशेष रूप से होता है। आलू पीसकर या दबाकर रस निकालें, एक चम्मच की मात्रा के हिसाब से प्रतिदिन चार बार पिलाएं। कच्चे आलू को चबाकर रस निगलने से भी यह लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
रक्तपित्त
यह रोग विटामिन “सी” की कमी से होता है। इस रोग की प्रारिम्भक अवस्था में शरीर एवं मन की शक्ति कमजोर हो जाती है अर्थात् रोगी का शरीर निर्बल, असमर्थ, मन्द तथा पीला-सा दिखाई देता है। थोड़े-से परिश्रम से ही सांस फूल जाती है। कच्चा आलू रक्तपित्त को दूर करता है।
त्वचा की झुर्रियां
सर्दी से ठंडी सूखी हवाओं से हाथों की त्वचा पर झुर्रियां पड़ने पर कच्चे आलू को पीसकर हाथों पर मलना गुणकारी हैं। नींबू का रस भी इसके लिए समान रूप से उपयोगी है। कच्चे आलू का रस पीने से दाद, फुन्सियां, गैस, स्नायुविक और मांसपेशियों के रोग दूर होते हैं।
गौरवर्ण, गोरापन
आलू को पीसकर त्वचा पर मलने से रंग गोरा हो जाता है।
आंखों का जाला एवं फूला
कच्चा आलू साफ-स्वच्छ पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम आंख में काजल की भांति लगाने से पांच से छ: वर्ष पुराना जाला और चार वर्ष तक का फूला तीन महीने में साफ हो जाता है।
मोटापा
आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी है। सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है जबकि सूखे चावलों में 6-7 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इस प्रकार आलू में अधिक प्रोटीन पाया जाता है। जैसी प्रोटीन होती है। बड़ी आलू की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाली और वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने वाली होती है।
बच्चों का पौष्टिक भोजन
आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं।
सूजन
कच्चे आलू को सब्जी की तरह काट लें। जितना वजन आलू का हो, उसके लगभग 2 गुना पानी में उसे उबालें। जब मात्र एक भाग पानी शेष रह जाए तो उस पानी से चोट से उत्पन्न सूजन वाले अंग को धोकर सेंकने से लाभ होगा।
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